मिजोरम चुनाव: दो वक्त का भोजन और बच्चों की शिक्षा की इंतजाम करे नई सरकार, म्यांमार से आए शरणार्थियों की मांग

मिजोरम अपना देश छोड़कर मिजोरम में शरण लेने वाले म्यांमा के नागरिकों के एक समूह...

मिजोरम चुनाव: दो वक्त का भोजन और बच्चों की शिक्षा की इंतजाम करे नई सरकार, म्यांमार से आए शरणार्थियों की मांग

मिजोरम
अपना देश छोड़कर मिजोरम में शरण लेने वाले म्यांमा के नागरिकों के एक समूह को पूर्वोत्तर राज्य की नई सरकार से दो वक्त के अच्छे भोजन और बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की उम्मीद है। वर्ष 2021 की शुरुआत में अपना देश छोड़ने के बाद भारत के मिजोरम आ कर सिहमुई के शिविर में रह रहे इन लोगों को उम्मीद है कि मिजोरम सरकार राशन और जरूरत की चीजें उपलब्ध कराना जारी रखेगी, जैसा कि इस साल सितंबर से पहले दी जा रही थीं। इस समूह के 130 लोग वर्तमान में बांस की अस्थायी दीवारों और टिन की छत वाले एक बड़े कमरे में रह रहे हैं और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए रोजगार की तलाश कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि शिविर में बुनियादी चिकित्सा देखभाल और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।

हमें राशन और जरूरत का सामान मुहैया कराते रहें
म्यांमा के चिन राज्य के मातुपी शहर से आये कपथांग ने बताया, ‘‘मिजोरम की आने वाली सरकार से उम्मीद करते हैं कि वे हमें राशन और जरूरत का सामान मुहैया कराते रहें। पिछले दो महीनों से सरकार द्वारा आपूर्ति बंद करने के बाद राहत शिविर में रहना मुश्किल हो गया है।'' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शिविर में रहने वाले लोगों को खाना, राशन, पानी और अन्य आवश्यक चीजें उपलब्ध कराईं, लेकिन सितंबर से यह सब बंद कर दिया गया। कपथांग ने कहा, ‘‘हमें नहीं पता, क्यों ऐसा किया गया। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि मणिपुर में जातीय हिंसा के बाद वहां से भी शरणार्थी मिजोरम आ गए, इसलिए यहां की सरकार पर अत्यधिक बोझ बढ़ गया और सरकार ने मदद करना बंद कर दिया है। लेकिन, कभी-कभी, कुछ गैर सरकारी संगठन हमें राशन भेजते हैं।''

म्यांमा के 31,000 से अधिक लोग मिजोरम में रह रहे
म्यांमा के 31,000 से अधिक लोग मिजोरम में रह रहे हैं और राज्य सरकार ने उन्हें सभी राहत सामग्री प्रदान की। इनमें से ज्यादा लोग चिन राज्य से हैं। ये लोग फरवरी 2021 में उनके देश में सैन्य तख्तापलट होने के बाद यहां आ गये। मिजोरम की 510 किलोमीटर लंबी सीमा म्यांमा के साथ साझा होती है। म्यांमा के 54 वर्षीय निवासी पेंगा को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद नई मिजोरम सरकार उनके रहन-सहन के हालात पर कुछ ध्यान देगी। उन्होंने कहा, ‘‘यदि संभव हो, तो मैं नई सरकार के सत्ता में आने के बाद पशुधन और सब्जियों की खेती के लिए कुछ भूमि उपलब्ध कराने की उम्मीद करता हूं। इससे मैं अपने परिवार भरण-पोषण कर पाऊंगा।''
 

मिजोरम में सात नवंबर को मतदान
चालीस सदस्यीय मिजोरम विधानसभा के चुनाव के लिए मतदान सात नवंबर को होगा और मतगणना तीन दिसंबर को होगी। आइजोल शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर सिहमुई राहत शिविर के सभी निवासियों ने इस बात पर जोर दिया कि उनके बच्चों के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है और वे चाहते हैं कि नई सरकार इस पर ध्यान दे। कपथांग ने कहा, ‘‘शिक्षा जरूरी है और दुर्भाग्य से हमारे बच्चों को यह ठीक से नहीं मिल रही है।

कुछ बच्चे स्थानीय सरकारी स्कूलों में जाते हैं, जो मिजो माध्यम ये पढ़ाई कराते हैं।'' इसी तरह की जरूरत व्यक्त करते हुए 38 वर्षीय पारजिंग ने कहा, ‘मेरा बेटा आइजोल में अंग्रेजी भाषा सीख रहा है। मैं इसके लिए प्रति माह पांच हजार रुपये खर्च कर रही हूं। मैंने आठ महीने तक एक कंपनी में काम किया और इसके लिए पैसे बचाये। एक बार वह पाठ्यक्रम पूरा कर ले, तो मैं चाहता हूं कि बेहतर अवसर के लिए भारत के अन्य हिस्सों में चला जाए।'