हिन्दी दिवस भाषाई पर्व नहीं भावनात्मक उत्सव है - दीपक

छत्तीसगढ़ संवाददाता राजनांदगांव, 15 सितंबर। लायंस क्लब द्वारा शहर के लायन डेन में हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दीपक बुद्धदेव व अध्यक्षता शशिकांत द्विवेदी ने की। विशेष अतिथि अशोक चौधरी, प्रो. शंकरमुनि राय, प्रो. ओंकारलाल श्रीवास्तव, डीसी जैन व शैंकी बग्गा शामिल थे। इसे अलावा बड़ी संख्या में कवि, साहित्यकार व बुद्धिजीवियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि आत्माराम कोश, कवि पद्मलोचन शर्मा व थंगेश्वर साहू को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री बुद्धदेव ने हिन्दी दिवस को एक भाषाई पर्व नहीं अपितु भावनात्मक उत्सव बताया। उन्होंने अपनी काव्य पंक्तियां में हिंदी भाषा को दिल की पुकार एवं शब्दों का सुंदर विचार कहा। अध्यक्षता करते श्री द्विवेदी ने भगवान श्रीराम को राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बताते कहा कि उनकी पदचापो की गूंज आज भी बस्तर में सुनाई देती है। अशोक चौधरी ने हिंदी पर सारगर्भित बातें कही और बताया कि मैथिली भाषा को आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने व्याकरण से लेकर लिपी तक के लिए पापड़ बेलने पड़े। उन्होंने छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने के लिए व्याकरण व लिपी का होना आवश्यक बताया। श्री कोशा ने कहा कि छत्तीसगढ़ी का व्याकरण धमतरी के हीरालाल काव्योपाध्याय द्वारा सन 1885 में लिखी जा चुकी है, जिसे जार्ज ग्रियर्सन द्वारा पुनर्लेखन किया गया। लायंस क्लब अध्यक्ष प्रमोद बागड़ी, अमलेंदु हाजरा, डॉ. चंद्रशेखर शर्मा, शंकर मुनि राय, ओंकार प्रसाद श्रीवास्तव, प्रभात बख्शी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर हिमांशु याज्ञिक, राजकुमार शर्मा, आनंद वर्गिस, राकेश ठाकुर, गजेंद्र बख्शी, गिरीश ठक्कर, शैलैष गुप्ता, मीना यादव, मोना गोसाईं, ज्योति खंडेलवाल, राजकुमारी मरकाम, संजय साहू, पंकज गुप्ता आदि की उपस्थिति रही।

हिन्दी दिवस भाषाई पर्व नहीं भावनात्मक उत्सव है - दीपक
छत्तीसगढ़ संवाददाता राजनांदगांव, 15 सितंबर। लायंस क्लब द्वारा शहर के लायन डेन में हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दीपक बुद्धदेव व अध्यक्षता शशिकांत द्विवेदी ने की। विशेष अतिथि अशोक चौधरी, प्रो. शंकरमुनि राय, प्रो. ओंकारलाल श्रीवास्तव, डीसी जैन व शैंकी बग्गा शामिल थे। इसे अलावा बड़ी संख्या में कवि, साहित्यकार व बुद्धिजीवियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि आत्माराम कोश, कवि पद्मलोचन शर्मा व थंगेश्वर साहू को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री बुद्धदेव ने हिन्दी दिवस को एक भाषाई पर्व नहीं अपितु भावनात्मक उत्सव बताया। उन्होंने अपनी काव्य पंक्तियां में हिंदी भाषा को दिल की पुकार एवं शब्दों का सुंदर विचार कहा। अध्यक्षता करते श्री द्विवेदी ने भगवान श्रीराम को राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बताते कहा कि उनकी पदचापो की गूंज आज भी बस्तर में सुनाई देती है। अशोक चौधरी ने हिंदी पर सारगर्भित बातें कही और बताया कि मैथिली भाषा को आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने व्याकरण से लेकर लिपी तक के लिए पापड़ बेलने पड़े। उन्होंने छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने के लिए व्याकरण व लिपी का होना आवश्यक बताया। श्री कोशा ने कहा कि छत्तीसगढ़ी का व्याकरण धमतरी के हीरालाल काव्योपाध्याय द्वारा सन 1885 में लिखी जा चुकी है, जिसे जार्ज ग्रियर्सन द्वारा पुनर्लेखन किया गया। लायंस क्लब अध्यक्ष प्रमोद बागड़ी, अमलेंदु हाजरा, डॉ. चंद्रशेखर शर्मा, शंकर मुनि राय, ओंकार प्रसाद श्रीवास्तव, प्रभात बख्शी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर हिमांशु याज्ञिक, राजकुमार शर्मा, आनंद वर्गिस, राकेश ठाकुर, गजेंद्र बख्शी, गिरीश ठक्कर, शैलैष गुप्ता, मीना यादव, मोना गोसाईं, ज्योति खंडेलवाल, राजकुमारी मरकाम, संजय साहू, पंकज गुप्ता आदि की उपस्थिति रही।