नेशनल हाईवे ब्लैक स्पॉट की ओर प्रशासन का उदासीन रवैया

आखिर कब तक बनी रहेगी जानलेवा स्थिति छत्तीसगढ़ संवाददाता रायगढ़, 23 अक्टूबर। नेशनल हाईवे कांशीराम चौक के ब्लैक स्पॉट पर खड़ी भारी वाहनों ने एक बार फिर शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यातायात विभाग की अनदेखी और ट्रांसपोर्टरों की मनमानी का नतीजा है कि यह चौक एक डेथ जोन बन चुका है। यहां हादसे आम हो गए हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अब भी मूकदर्शक बने बैठे हैं। कागजों में सुधार, जमीनपर हालात बदतर कुछ समय पहले यातायात विभाग ने इस ब्लैक स्पॉट पर नो पार्किंग बोर्ड लगाकर औपचारिकता पूरी कर ली थी, लेकिन असलियत यह है कि चौक पर दर्जनों भारी वाहन रोज खड़े रहते हैं। यह दृश्य न केवल प्रशासन की विफलता को उजागर करता है, बल्कि ट्रांसपोर्टरों के बेखौफ रवैये को भी। इन वाहनों का बेतरतीब ढंग से खड़ा रहना, राहगीरों और ड्राइवरों के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है। डर और लापरवाही का मिश्रण महिंद्रा गोदाम, साल्वेट और अन्य ट्रांसपोर्ट कंपनियों से जुड़े वाहनों का कांशीराम चौक पर घंटों इंतजार करना दुर्घटनाओं को खुला न्यौता देता है। ओवरलोडेड सीमेंट ट्रक और भारी वाहनों की तादाद बरसात के दिनों में और भी बढ़ जाती है, जब गोदामों में सीमेंट खाली नहीं हो पाता। ऐसे में 2-3 दिन तक ये वाहन सडक़ों पर खड़े रहते हैं, जिससे राहगीरों की जान पर हमेशा खतरा मंडराते रहता है। सडक़ सुरक्षा या दिखावेका सिग्नल विभाग द्वारा लगाए गए यातायात सिग्नल भी अब दिखावे का हिस्सा बन चुके हैं। सिग्नल के भरोसे पूरा यातायात व्यवस्था छोड़ दिया गया है, जबकि यहां नियमित रूप से किसी भी प्रकार की निगरानी नहीं की जाती। क्या यह प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं कि वह इस डेथ जोन की गंभीरता को समझे और तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए। मनमानी का राज औरप्रशासन का सन्नाटा स्थानीय निवासियों का कहना है कि ट्रांसपोर्टरों की मनमानी इस कदर बढ़ चुकी है कि वे अब खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। ट्रांसपोर्टरों द्वारा भारी वाहन सडक़ों पर खड़ा करना आम हो गया है, और हर दिन सडक़ हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन प्रशासन अब भी मौन है क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है। इस स्थिति में सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं आम राहगीर, जिनकी जान अब इन भारी वाहनों की वजह से खतरे में पड़ चुकी है। संस्कार पब्लिक स्कूल के पास से आने वाले छात्रों, वाहन चालकों और पैदल चलने वालों को हर रोज विपरीत दिशा से आवागमन करना पड़ता है। प्रशासन की इस उदासीनता के कारण लोग अपनी जान हथेली पर लेकर सफर करने को मजबूर हैं। विभागीय लापरवाही और प्रशासन की अनदेखी से ट्रांसपोर्टरों की मनमानी अगर इसी तरह चलती रही तो कांशीराम चौक जल्द ही एक और बड़ी त्रासदी का गवाह बन सकता है। सवाल यह है कि जिम्मेदार अधिकारी कब जागेंगे और कब तक ये ब्लैक स्पॉट राहगीरों की जान पर खतरा रहेगा? क्या किसी बड़े हादसे के बाद ही कार्रवाई होगी, या फिर समय रहते इस गंभीर स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। स्थानीय निवासियों और राहगीरों में शासन-प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश है। समय रहते यदि इन भारी वाहनों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो इस अनदेखी का नतीजा भयावह हो सकता है।

नेशनल हाईवे ब्लैक स्पॉट की ओर प्रशासन का उदासीन रवैया
आखिर कब तक बनी रहेगी जानलेवा स्थिति छत्तीसगढ़ संवाददाता रायगढ़, 23 अक्टूबर। नेशनल हाईवे कांशीराम चौक के ब्लैक स्पॉट पर खड़ी भारी वाहनों ने एक बार फिर शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यातायात विभाग की अनदेखी और ट्रांसपोर्टरों की मनमानी का नतीजा है कि यह चौक एक डेथ जोन बन चुका है। यहां हादसे आम हो गए हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अब भी मूकदर्शक बने बैठे हैं। कागजों में सुधार, जमीनपर हालात बदतर कुछ समय पहले यातायात विभाग ने इस ब्लैक स्पॉट पर नो पार्किंग बोर्ड लगाकर औपचारिकता पूरी कर ली थी, लेकिन असलियत यह है कि चौक पर दर्जनों भारी वाहन रोज खड़े रहते हैं। यह दृश्य न केवल प्रशासन की विफलता को उजागर करता है, बल्कि ट्रांसपोर्टरों के बेखौफ रवैये को भी। इन वाहनों का बेतरतीब ढंग से खड़ा रहना, राहगीरों और ड्राइवरों के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है। डर और लापरवाही का मिश्रण महिंद्रा गोदाम, साल्वेट और अन्य ट्रांसपोर्ट कंपनियों से जुड़े वाहनों का कांशीराम चौक पर घंटों इंतजार करना दुर्घटनाओं को खुला न्यौता देता है। ओवरलोडेड सीमेंट ट्रक और भारी वाहनों की तादाद बरसात के दिनों में और भी बढ़ जाती है, जब गोदामों में सीमेंट खाली नहीं हो पाता। ऐसे में 2-3 दिन तक ये वाहन सडक़ों पर खड़े रहते हैं, जिससे राहगीरों की जान पर हमेशा खतरा मंडराते रहता है। सडक़ सुरक्षा या दिखावेका सिग्नल विभाग द्वारा लगाए गए यातायात सिग्नल भी अब दिखावे का हिस्सा बन चुके हैं। सिग्नल के भरोसे पूरा यातायात व्यवस्था छोड़ दिया गया है, जबकि यहां नियमित रूप से किसी भी प्रकार की निगरानी नहीं की जाती। क्या यह प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं कि वह इस डेथ जोन की गंभीरता को समझे और तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए। मनमानी का राज औरप्रशासन का सन्नाटा स्थानीय निवासियों का कहना है कि ट्रांसपोर्टरों की मनमानी इस कदर बढ़ चुकी है कि वे अब खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। ट्रांसपोर्टरों द्वारा भारी वाहन सडक़ों पर खड़ा करना आम हो गया है, और हर दिन सडक़ हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन प्रशासन अब भी मौन है क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है। इस स्थिति में सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं आम राहगीर, जिनकी जान अब इन भारी वाहनों की वजह से खतरे में पड़ चुकी है। संस्कार पब्लिक स्कूल के पास से आने वाले छात्रों, वाहन चालकों और पैदल चलने वालों को हर रोज विपरीत दिशा से आवागमन करना पड़ता है। प्रशासन की इस उदासीनता के कारण लोग अपनी जान हथेली पर लेकर सफर करने को मजबूर हैं। विभागीय लापरवाही और प्रशासन की अनदेखी से ट्रांसपोर्टरों की मनमानी अगर इसी तरह चलती रही तो कांशीराम चौक जल्द ही एक और बड़ी त्रासदी का गवाह बन सकता है। सवाल यह है कि जिम्मेदार अधिकारी कब जागेंगे और कब तक ये ब्लैक स्पॉट राहगीरों की जान पर खतरा रहेगा? क्या किसी बड़े हादसे के बाद ही कार्रवाई होगी, या फिर समय रहते इस गंभीर स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। स्थानीय निवासियों और राहगीरों में शासन-प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश है। समय रहते यदि इन भारी वाहनों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो इस अनदेखी का नतीजा भयावह हो सकता है।