रामगोपाल वर्मा को ख़ुद पर ही क्यों रोना आया, मानीं अपनी ग़लतियां

रामगोपाल वर्मा सत्या, रंगीला, कंपनी और सरकार जैसी फ़िल्मों के लिए जाने जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से वह फ़िल्मी दुनिया में कुछ ख़ास नहीं कर पा रहे हैं. कुछ फ़िल्में उन्होंने बनाईं भी लेकिन पहले की तरह कामयाब नहीं रहीं. सत्या 27 साल बाद फिर से रिलीज हुई है. अब रामगोपाल वर्मा ने स्वीकार किया है कि अतीत में उन्होंने कई ग़लतियां की थीं. वर्मा ने न सिर्फ़ अपनी ग़लतियां मानीं बल्कि फ़िल्म निर्माताओं के लिए भी एक प्रेरणादायक नोट लिखा जो अपने रास्ते से भटक गए हैं. राम गोपाल वर्मा ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट डाली है. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है, 27 सालों बाद दो दिन पहले मैंने फिर से सत्या देखी. मैं इसे देख रोने लगा. मैंने इसकी फ़िक्र नहीं की कि मुझे कोई रोते हुए देख लेगा. मेरे आंसू न केवल इस फ़िल्म के लिए थे बल्कि इतने सालों में जो कुछ हुआ, उसके लिए भी थे. फिल्म बनाना बच्चे को जन्म देने की तरह होता है. न तो हमें बच्चे को जन्म देते वक़्त अहसास होता है कि वह कैसा होगा और न ही फ़िल्म को लेकर पता होता है कि लोग इसे किस तरह से लेंगे. सत्या के बाद मैं न केवल शराब के नशे में था बल्कि अपनी कामयाबी और अहंकार के नशे में भी था. दो दिन पहले तक मैं इन चीज़ों से अनजान था. सत्या और रंगीला की कामयाबी से मैं अहंकार में डूब गया था. मैं अपनी दूरदर्शिता खो चुका था. रामगोपाल वर्मा ने लिखा है, शायद मैं सत्या की तरह फिर से कोई फ़िल्म ना बना सकूं लेकिन ऐसा इरादा रखना भी सिनेमा के खिलाफ एक अक्षम्य अपराध है. मैं अब संकल्प लेता हूँ कि मेरे जीवन के जितने साल बचे हैं, उन्हें गंभीरता से सत्या की तरह कुछ गंभीर फ़िल्म बनाने पर ख़र्च करूंगा. सत्या के अभिनेता मनोज वाजपेयी ने रामगोपाल वर्मा की इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है, अपनी ज़िंदगी और काम पर इतनी कठोरता से सोचने के लिए बहुत साहस की ज़रूरत पड़ती है. आपके पास साहस और निडरता की कमी कभी नहीं रही है. आपकी तरह कोई भी नहीं हो सकता है. आपमें विशेष प्रतिभा है.(bbc.com/hindi)

रामगोपाल वर्मा को ख़ुद पर ही क्यों रोना आया, मानीं अपनी ग़लतियां
रामगोपाल वर्मा सत्या, रंगीला, कंपनी और सरकार जैसी फ़िल्मों के लिए जाने जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से वह फ़िल्मी दुनिया में कुछ ख़ास नहीं कर पा रहे हैं. कुछ फ़िल्में उन्होंने बनाईं भी लेकिन पहले की तरह कामयाब नहीं रहीं. सत्या 27 साल बाद फिर से रिलीज हुई है. अब रामगोपाल वर्मा ने स्वीकार किया है कि अतीत में उन्होंने कई ग़लतियां की थीं. वर्मा ने न सिर्फ़ अपनी ग़लतियां मानीं बल्कि फ़िल्म निर्माताओं के लिए भी एक प्रेरणादायक नोट लिखा जो अपने रास्ते से भटक गए हैं. राम गोपाल वर्मा ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट डाली है. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है, 27 सालों बाद दो दिन पहले मैंने फिर से सत्या देखी. मैं इसे देख रोने लगा. मैंने इसकी फ़िक्र नहीं की कि मुझे कोई रोते हुए देख लेगा. मेरे आंसू न केवल इस फ़िल्म के लिए थे बल्कि इतने सालों में जो कुछ हुआ, उसके लिए भी थे. फिल्म बनाना बच्चे को जन्म देने की तरह होता है. न तो हमें बच्चे को जन्म देते वक़्त अहसास होता है कि वह कैसा होगा और न ही फ़िल्म को लेकर पता होता है कि लोग इसे किस तरह से लेंगे. सत्या के बाद मैं न केवल शराब के नशे में था बल्कि अपनी कामयाबी और अहंकार के नशे में भी था. दो दिन पहले तक मैं इन चीज़ों से अनजान था. सत्या और रंगीला की कामयाबी से मैं अहंकार में डूब गया था. मैं अपनी दूरदर्शिता खो चुका था. रामगोपाल वर्मा ने लिखा है, शायद मैं सत्या की तरह फिर से कोई फ़िल्म ना बना सकूं लेकिन ऐसा इरादा रखना भी सिनेमा के खिलाफ एक अक्षम्य अपराध है. मैं अब संकल्प लेता हूँ कि मेरे जीवन के जितने साल बचे हैं, उन्हें गंभीरता से सत्या की तरह कुछ गंभीर फ़िल्म बनाने पर ख़र्च करूंगा. सत्या के अभिनेता मनोज वाजपेयी ने रामगोपाल वर्मा की इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है, अपनी ज़िंदगी और काम पर इतनी कठोरता से सोचने के लिए बहुत साहस की ज़रूरत पड़ती है. आपके पास साहस और निडरता की कमी कभी नहीं रही है. आपकी तरह कोई भी नहीं हो सकता है. आपमें विशेष प्रतिभा है.(bbc.com/hindi)