मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ मुख्यमंत्री को सौंपेगा ज्ञापन:सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर करेगा नियमित करने की मांग

केंद्रीय जल आयोग के संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेगा। महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के हक में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। मप्र सरकार को भी संविदा के हक में विचार कर निर्णय लेना चाहिए। राठौर ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग के ये कर्मचारी ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट से पराजित हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात को सुना और निर्देश दिए कि नियमित की तरह इन कर्मचारियों ने 10 साल से अधिक काम किया है, काम बारहमासी प्रकृति का था और उसमें कोई कमी नहीं थी। सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, ग्रेच्युटी, बीमा सहित अन्य सुविधाओं से बचने के लिए सरकारें अस्थाई शब्द का दुरुपयोग कर रही हैं। भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का भी सदस्य है, जिसमें श्रमिकों के हितों की रक्षा करना है और उनके शोषण को रोकना है। अधिकारी उमा देवी प्रकरण की गलत व्याख्या करते हैं, उमा देवी जजमेंट किसी को दंड देना नहीं है बल्कि बैक डोर एंट्री को रोकना है। पद की योग्यता रखने वाले सालों से काम कर रहे संविदा कर्मचारियों को नियमित करें। राठौर ने कहा कि हम मुख्य्मंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग और वित्त विभाग को ज्ञापन देंगे और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आधार पर मध्य प्रदेश के संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और नियमित कर्मचारियों के सामान समस्त सुविधाएं देने की मांग करेंगे।

मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ मुख्यमंत्री को सौंपेगा ज्ञापन:सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर करेगा नियमित करने की मांग
केंद्रीय जल आयोग के संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेगा। महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के हक में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। मप्र सरकार को भी संविदा के हक में विचार कर निर्णय लेना चाहिए। राठौर ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग के ये कर्मचारी ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट से पराजित हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात को सुना और निर्देश दिए कि नियमित की तरह इन कर्मचारियों ने 10 साल से अधिक काम किया है, काम बारहमासी प्रकृति का था और उसमें कोई कमी नहीं थी। सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, ग्रेच्युटी, बीमा सहित अन्य सुविधाओं से बचने के लिए सरकारें अस्थाई शब्द का दुरुपयोग कर रही हैं। भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का भी सदस्य है, जिसमें श्रमिकों के हितों की रक्षा करना है और उनके शोषण को रोकना है। अधिकारी उमा देवी प्रकरण की गलत व्याख्या करते हैं, उमा देवी जजमेंट किसी को दंड देना नहीं है बल्कि बैक डोर एंट्री को रोकना है। पद की योग्यता रखने वाले सालों से काम कर रहे संविदा कर्मचारियों को नियमित करें। राठौर ने कहा कि हम मुख्य्मंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग और वित्त विभाग को ज्ञापन देंगे और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आधार पर मध्य प्रदेश के संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और नियमित कर्मचारियों के सामान समस्त सुविधाएं देने की मांग करेंगे।