शाजापुर में महिलाओं ने रखा दशा माता का व्रत:पीपल की परिक्रमा कर गले में धारण किया डोरा; सुख-समृद्धि की कामना की

शाजापुर में सोमवार को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर सुहागिन महिलाओं ने दशा माता का व्रत रखा। महिलाएं पीपल के पेड़ों के पास पूजा के लिए इकट्ठा होने लगीं। महिलाओं ने कच्चे सूत के 10 तार का डोरा बनाया। इसमें 10 गठानें लगाई गईं। पूजन के बाद पीपल की परिक्रमा कर डोरे को गले में धारण किया। मान्यता है कि दशा माता का व्रत घर में सुख-समृद्धि लाता है। पूजा में शामिल रेखा राठौर ने बताया कि इस व्रत में दशा माता के रूप में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु को कच्चा सूत अर्पित किया जाता है। महिलाएं कच्चे सूत से पीपल की 10 परिक्रमा करती हैं। शहर के अलग-अलग स्थानों पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से कथा सुना है। चारभुजा मंदिर, मारवाड़सेरी, ओंकारेश्वर मंदिर, आदित्य नगर गणेश मंदिर और महुपुरा श्रीराम मंदिर समेत करीब एक दर्जन स्थानों पर पूजा-अर्चना हुआ। सुबह से शाम तक पूजा चलता रहा।

शाजापुर में महिलाओं ने रखा दशा माता का व्रत:पीपल की परिक्रमा कर गले में धारण किया डोरा; सुख-समृद्धि की कामना की
शाजापुर में सोमवार को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर सुहागिन महिलाओं ने दशा माता का व्रत रखा। महिलाएं पीपल के पेड़ों के पास पूजा के लिए इकट्ठा होने लगीं। महिलाओं ने कच्चे सूत के 10 तार का डोरा बनाया। इसमें 10 गठानें लगाई गईं। पूजन के बाद पीपल की परिक्रमा कर डोरे को गले में धारण किया। मान्यता है कि दशा माता का व्रत घर में सुख-समृद्धि लाता है। पूजा में शामिल रेखा राठौर ने बताया कि इस व्रत में दशा माता के रूप में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु को कच्चा सूत अर्पित किया जाता है। महिलाएं कच्चे सूत से पीपल की 10 परिक्रमा करती हैं। शहर के अलग-अलग स्थानों पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से कथा सुना है। चारभुजा मंदिर, मारवाड़सेरी, ओंकारेश्वर मंदिर, आदित्य नगर गणेश मंदिर और महुपुरा श्रीराम मंदिर समेत करीब एक दर्जन स्थानों पर पूजा-अर्चना हुआ। सुबह से शाम तक पूजा चलता रहा।