संत को अंतिम विदाई देने डोंगरगढ़ पहुंचे लाखों
छत्तीसगढ़ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 फरवरी। जैन पंथ के रत्न आचार्य विद्यासागर महाराज ने शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात को समाधि ले ली। दिगम्बर मुनि आचार्य विद्यासागर ने बीती रात लगभग 2.35 बजे समाधि ली।
दिगम्बर और श्वेताम्बर पंथ के लोग उन्हें वर्तमान के दौर में महावीर कहते थे। वह आचार्य ज्ञान सागर के शिष्य थे। डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में उन्होंने समाधि से पूर्व दो-तीन दिन पहले अन्न और जल का त्याग कर दिया था। चंद्रगिरी तीर्थ पर वे 15 साल से प्रवास के दौरान ठहरते थे।
समाज के लोगों का कहना है कि चंद्रगिरी को तीर्थ के रूप में विकसित करने की उनकी निजी इच्छा थी। वे चंद्रगिरी से रामटेक, अमरकंटक और अन्य तीर्थों में प्रवास और विहार करते थे।
मूलत: कर्नाटक के सदलगा गांव के रहने वाले आचार्य विद्यासागर का 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन जन्म हुआ था। 30 जून 1968 को 22 साल की उम्र में उन्होंने वैराग्य का रास्ता चुना। साल 1972 में ज्ञानसागर महाराज ने उन्हें आचार्य का दर्जा दिया। जब आचार्य ज्ञानसागर ने समाधि ली थी, तब उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर महाराज को सौंप दिया था। ताउम्र तपस्वी के रूप में विद्यासागर महाराज ने मोहमाया और भौतिक सुविधाओं का त्याग किया। जिसमें उन्होंने नमक और शक्कर जैसी आवश्यक खाद्य वस्तु को भी अपने से दूर रखा।
आचार्य विद्यासागर पिछले कुछ दिनों से कमजोर हो गए थे। उन्होंने 3 दिन पूर्व से खानपान का त्याग कर दिया था। बीते साल नवंबर के महीने में विधानसभा चुनाव के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष मुलाकात करने डोंगरगढ़ का रूख किया था। आचार्य से मुलाकात की उनकी तस्वीरें काफी वायरल हुई थी।
डोंगरगढ़ में संत को आखिरी विदाई देने के लिए जैन धर्म के अलावा अलग-अलग धर्मों के लोग पहुंचे। संत के अंतिम दर्शन की इच्छा लिए लाखों लोग डोंगरगढ़ में पहुंचे। उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद चंद्रगिरी तीर्थ में गमगीन माहौल में लोग दर्शन करने पहुंचे। दोपहर बाद उनकी अंत्येष्टि की जाएगी।
इधर उनकी समाधि की खबर पर अलग-अलग वर्गों ने दुख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट करते गहरा दुख व्यक्त करते कहा कि आने वाली पीढिय़ां आचार्य को हमेशा याद रखेगी।
राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने परम् वंदनीय संत शिरोमणि, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ईश्वर से महाराज को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि विश्व-कल्याण के लिए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समर्पण अविस्मरणीय है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करते श्रद्धांजलि देते कहा कि आचार्य की शिक्षाएं सदैव मानव कल्याण और प्राणी सेवा को प्रेरणा देती रहेंगी।
आचार्य की समाधि पर जैन समाज द्वारा कारोबार बंद रखा गया। देशभर में समाज के लोगों ने अपनी-अपनी दुकानें बंद रखी। डोंगरगढ़ में आचार्य की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार करने के लिए अग्निकुंड भी बनाया गया है।
राजकीय शोक
सरकार ने जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज के देहावसान पर आज प्रदेश में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान समस्त सरकारी भवनों और जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते हैं, वहां राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे।
संत को अंतिम विदाई देने डोंगरगढ़ पहुंचे लाखों
छत्तीसगढ़ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 फरवरी। जैन पंथ के रत्न आचार्य विद्यासागर महाराज ने शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात को समाधि ले ली। दिगम्बर मुनि आचार्य विद्यासागर ने बीती रात लगभग 2.35 बजे समाधि ली।
दिगम्बर और श्वेताम्बर पंथ के लोग उन्हें वर्तमान के दौर में महावीर कहते थे। वह आचार्य ज्ञान सागर के शिष्य थे। डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में उन्होंने समाधि से पूर्व दो-तीन दिन पहले अन्न और जल का त्याग कर दिया था। चंद्रगिरी तीर्थ पर वे 15 साल से प्रवास के दौरान ठहरते थे।
समाज के लोगों का कहना है कि चंद्रगिरी को तीर्थ के रूप में विकसित करने की उनकी निजी इच्छा थी। वे चंद्रगिरी से रामटेक, अमरकंटक और अन्य तीर्थों में प्रवास और विहार करते थे।
मूलत: कर्नाटक के सदलगा गांव के रहने वाले आचार्य विद्यासागर का 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन जन्म हुआ था। 30 जून 1968 को 22 साल की उम्र में उन्होंने वैराग्य का रास्ता चुना। साल 1972 में ज्ञानसागर महाराज ने उन्हें आचार्य का दर्जा दिया। जब आचार्य ज्ञानसागर ने समाधि ली थी, तब उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर महाराज को सौंप दिया था। ताउम्र तपस्वी के रूप में विद्यासागर महाराज ने मोहमाया और भौतिक सुविधाओं का त्याग किया। जिसमें उन्होंने नमक और शक्कर जैसी आवश्यक खाद्य वस्तु को भी अपने से दूर रखा।
आचार्य विद्यासागर पिछले कुछ दिनों से कमजोर हो गए थे। उन्होंने 3 दिन पूर्व से खानपान का त्याग कर दिया था। बीते साल नवंबर के महीने में विधानसभा चुनाव के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष मुलाकात करने डोंगरगढ़ का रूख किया था। आचार्य से मुलाकात की उनकी तस्वीरें काफी वायरल हुई थी।
डोंगरगढ़ में संत को आखिरी विदाई देने के लिए जैन धर्म के अलावा अलग-अलग धर्मों के लोग पहुंचे। संत के अंतिम दर्शन की इच्छा लिए लाखों लोग डोंगरगढ़ में पहुंचे। उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद चंद्रगिरी तीर्थ में गमगीन माहौल में लोग दर्शन करने पहुंचे। दोपहर बाद उनकी अंत्येष्टि की जाएगी।
इधर उनकी समाधि की खबर पर अलग-अलग वर्गों ने दुख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट करते गहरा दुख व्यक्त करते कहा कि आने वाली पीढिय़ां आचार्य को हमेशा याद रखेगी।
राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने परम् वंदनीय संत शिरोमणि, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ईश्वर से महाराज को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि विश्व-कल्याण के लिए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समर्पण अविस्मरणीय है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करते श्रद्धांजलि देते कहा कि आचार्य की शिक्षाएं सदैव मानव कल्याण और प्राणी सेवा को प्रेरणा देती रहेंगी।
आचार्य की समाधि पर जैन समाज द्वारा कारोबार बंद रखा गया। देशभर में समाज के लोगों ने अपनी-अपनी दुकानें बंद रखी। डोंगरगढ़ में आचार्य की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार करने के लिए अग्निकुंड भी बनाया गया है।
राजकीय शोक
सरकार ने जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज के देहावसान पर आज प्रदेश में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान समस्त सरकारी भवनों और जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते हैं, वहां राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे।